Subscribe

RSS Feed (xml)

Powered By

Skin Design:
Free Blogger Skins

Powered by Blogger

शुक्रवार, 2 अक्तूबर 2009

क्रिया की प्रतिक्रिया होती है

हिन्दू धर्म कहता है कि यदि आप दूसरों को सुख देने का यत्न करेंगें तो प्रतिक्रिया स्वरूप आपको भी सुख प्राप्त होगा । यदि आप दूसरों को दु:ख देंगे तो आपको भी दु:ख मिलकर रहेगा । किये गये पापों से मुक्त होने का एक ही उपाय है, अधिक से अधिक पुण्य का अर्जन कीजिए । दुष्कर्मों के परिणाम भोगने से बचने का एक ही उपाय है कि अधिक से अधिक सुकर्म कीजिए । हम जो भी शुभाशुभ कर्म करते है उसका अनजान में मन पर प्रभाव पड़ता है और वह हमारा संस्कार बन जाता है । कुसंस्कार हमें अकल्याणकर और पाप-कर्म की ओर प्रेरित करता है और सुसंस्कार हमें कल्याणकर और पुण्य कर्मों की ओर ले जाता है । दुष्कर्म का जितना अधिक संचय होगा, एक दिन उसकी प्रतिक्रिया उतनी ही भयंकर होगी । एक गुण्डे, आतंकवादी या तस्कर का दूसरे गुण्डे या आतंकवादी द्वारा मारा जाना क्रिया की प्रतिक्रिया को ही दर्शाता है ।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

जिन्दगी मेरे साथ में आप का स्वागत है आप सभी के सहयोग के बिना आगे बढना आसान नहीं है इश लिए आज मिल कर सब एक जुट हो कर ब्लॉग की दुनिया में आगे बड़तेहै