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बुधवार, 2 दिसंबर 2009

प्राणि-सेवा ही परमात्मा की सेवा है

ईश्वर निराकार है; उसकी सेवा नहीं की जा सकती । किन्तु वह संसार के प्राणियों में अधिक व्यक्त है । अत: जो प्राणि-सेवारत है वह वास्तव में परमात्मा की सेवा ही करता है ।

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